1 | "Your mind is the garden, your thoughts are the seeds, the harvest can either be flowers or weeds" | William Wordsworth |
2 | "Every moment is a fresh beginning " | - T.S. ELIOT |
3 | जब हम कोई काम करने की इच्छा करते हैं तो शक्ति अपने आप ही आ जाती है। | मुंशी प्रेमचंद |
4 | "प्रेम ने मनुष्य को मनुष्य बनाया ! भय ने उसे समाज का रूप दिया! अहंकार ने उसे राष्ट्र में संगठित कर दिया !" | अज्ञेय |
5 | "गलत से गलत वक़्त में भी, सही से सही बात कही जा सकती है।" | कुँवर नारायण |
6 | प्रीत करे तो ऐसी करें, जैसे करे कपास| जीते जी वो तन ढके, मरे भी रहे पास|| | कबीरदास |
7 | "मैंने शहर को देखा और मुस्कुराया वहाँ कोई कैसे रह सकता है यह देखने मैं गया और वापस न आया।" | मंगलेश डबराल |
8 | स्त्री के लिए प्रेम का अर्थ है कि कोई उसे प्रेम करे| | भुवनेश्वर |
9 | इश्क सिर्फ़ मुर्दों को नहीं होता| | इस्मत चुगताई |
10 | “मौन भी अभिव्यंजना है/ जितना तुम्हारा सच है/ उतना ही कहो।” | अज्ञेय |
11 | "धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।" | कबीरदास |
12 | "अन्याय होने पर चुप रहना अन्याय करने के ही समान है।" | मुंशी प्रेमचंद |
13 | "महत्त्वाकांक्षा की मोती निष्ठुरता की सीपी में पलता है।" | जयशंकर प्रसाद |
14 | "डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है।" | मुंशी प्रेमचंद |
15 | "क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात नहीं कहता, वह केवल दूसरों का दिल दुखाना चाहता है।" | मुंशी प्रेमचंद |
16 | "सौभाग्य उसी को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचलित रहते हैं।" | मुंशी प्रेमचंद |
17 | "आत्मसम्मान की रक्षा हमारा सबसे पहला धर्म और अधिकार है।" | मुंशी प्रेमचंद |
18 | "हमारी डिग्री हमारा सेवा भाव, हमारी नम्रता, हमारे जीवन की सरलता है। अगर यह डिग्री नहीं मिली, अगर हमारी आत्मा जागृत नहीं हुई तो कागज की डिग्री व्यर्थ है।" | मुंशी प्रेमचंद |
19 | "परिवर्तन ही सृष्टि है, जीवन है। स्थिर होना मृत्यु है, निश्चेष्ट शांति मरण है। " | जयशंकर प्रसाद |
20 | "प्रत्येक स्थान और समय बोलने योग्य नहीं रहते।" | जयशंकर प्रसाद |